मुल्ला नसरुद्दीन और भिखारी
मुल्ला नसरुद्दीन और भिखारी
एक दिन एक भिखारी ने मुल्ला नसरुद्दीन का दरवाज़ा खटखटाया. मुल्ला उस समय अपने घर की ऊपरी मंजिल पर था. उसने खिड़की खोली और भिखारी से कहा – “क्या चाहिए?”
“आप नीचे आइये तो मैं आपको बताऊँगा” – भिखारी ने कहा.
मुल्ला नीचे उतरकर आया और दरवाज़ा खोलकर बोला – “अब बताओ क्या चाहते हो.”
“एक सिक्का दे दो, बड़ी मेहरबानी होगी” – भिखारी ने फरियाद की. मुल्ला को बड़ी खीझ हुई. वह घर में ऊपर गया और खिड़की से झाँककर भिखारी से बोला – “यहाँ ऊपर आओ”.
भिखारी सीढियाँ चढ़कर ऊपर गया और मुल्ला के सामने जा खडा हुआ. मुल्ला ने कहा – “माफ़ करना भाई, अभी मेरे पास खुले पैसे नहीं हैं.”
“आपने ये बात मुझे नीचे ही क्यों नहीं बता दी? मुझे बेवज़ह इतनी सारी सीढियाँ चढ़नी पड़ गईं!” – भिखारी चिढ़कर बोला.
“तो फिर तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया” – मुल्ला ने पूछा – “जब मैंने ऊपर से तुमसे पूछा था कि तुम्हें क्या चाहिए!?”
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