आनंद की तलाश में भटकता आदमी : मुल्ला नसीरुद्दीन
आनंद की तलाश में भटकता आदमी
एक दिन मुल्ला नसरूदीन किसी दूसरे शहर के आदमी से बात करने लगा। उस आदमी ने बड़े ही दुखी स्वर में कहा ’’मेरे पास भरपूर धन-दौलत है फिर भी मैं दुखी और उदास रहता हूं।’’ मैंने अपना सारा पैसा इकट्ठा किया और खुशी की तलाश में ईधर उधर भटका, पर मुझे खुशी नहीं मिली। जैसे ही वह आदमी अगली बात कहने लगा मुल्ला ने उसका पैसों से भरा बैग छीना और भाग लिया। उस आदमी ने मुल्ला का खूब पीछा किया पर मुल्ला उसकी आंखों से ओझल हो गया। बहुत देर बाद उस आदमी बहुत दूर अपना पैसों से भरा बैग दिखाई दिया। वह कूदता कूदता अपने बैग की तरफ आया। तब पेड़ के पीछे छिपा मुल्ला उसके सामने आया और उसके हंसते और खिलखिलाते चेहरे को देखा। वह आदमी अपना बैग मिलने पर खुशी के मारे नाच रहा था तब मुल्ला ने मन में सोचा ’’ यह भी उदास आदमी को खुश करने का एक अच्छा तरीका है’’
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